अजीब पल की शुरुआत
एक चौराहे पर बैठी बासेट हाउंड, अपने निराशा भरे चेहरे के साथ, अपने आसपास की ऊर्जा को समझने की कोशिश कर रही है। उसकी लंबी, लटकी हुई कान एक तरफ झुकी हुई हैं, मानो वह कह रही हो, "अगर यह मानव इतना मजेदार नहीं है, तो मुझे क्यों यहाँ बैठना है?" मजेदार ये है कि उसके पास सैलानी चश्मा पहने एक महिला है, जो गहरी सोच में डूबी हुई हैं।
व्यवहारिक व्याख्या
बासेट...